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महिलाओं के लिए खुशखबरी अब मिलेगा पति की संपत्ति का आधा हिस्सा

महिलाओं के लिए बड़ी जीत: मद्रास हाई कोर्ट का फैसला: हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है, जिसमें कहा गया है कि हाउसवाइफ पति की संपत्ति की मालिक होती है। इस फैसले को जस्टिस कृष्णन रामास्वामी की एकल पीठ ने जारी किया है। अदालत ने यह भी कहा है कि महिला अपने पति की कमाई से खरीदी गई संपत्तियों में बराबरी का हिस्सा अधिकारी होती है। इसके अलावा, यदि संपत्ति पति के नाम पर है, तो भी उसे पति और पत्नी दोनों के पैसे से खरीदा गया संपत्ति माना जाएगा।

हमारे जीवन में विवाह एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और इसमें कई आपत्तियाँ और समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। अक्सर सम्पत्ति के मामलों में जहां विवाहित जोड़े अलग हो रहे होते हैं, पत्नी को पति की संपत्ति का हिस्सा प्राप्त करने का सवाल उठता है।

हाई कोर्ट ने दी इस बारे में जानकारी

कोर्ट ने कहा कि भले ही पत्नियों के योगदान को मान्यता देने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन अदालतें संपत्ति के मामले को अच्छी तरह से पहचान सकती हैं, और यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि महिलाओं को उनके बलिदान के लिए पुरस्कृत किया जाए, जब बात आती है तो उन्हें उचित न्याय मिलना चाहिए।

मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय ने विवाहित महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत साबित की है। इससे महिलाओं को संपत्ति के मामले में उचित न्याय मिलेगा और उनका सम्मान बढ़ेगा। यह निर्णय एक महिला के पति के संपत्ति में उसका हिस्सा मान्यता प्रदान करता है और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे महिलाओं का स्वायत्तता, सम्मान, और सामरिक आर्थिक स्वतंत्रता प्रोत्साहित होगी।

यह था मामला

2016 में, एक पुरानी कन्नियन अपील की सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में अपनी योग्यता प्रमाणित की। इस मामले में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ केस दायर किया था, जिसने उनकी संपत्ति में अपना हिस्सा जमा रखा था। उसकी शिकायत का मुद्दा उसके पति की एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी था। दुखद होते हुए इस महिला की मौत के बाद, उनके बच्चों ने माता के अधिकारों की पहचान के लिए मुकदमा चलाया। इस मामले में 2015 में एक स्थानीय अदालत ने इनके दावों को खारिज कर दिया था, लेकिन अब मद्रास हाई कोर्ट ने यह तय किया है कि महिला भी संपत्ति का हकदार होती है।

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महिला सशक्तिकरण की दिशा में

हाई कोर्ट के इस निर्णय ने महिलाओं के लिए एक नया मार्ग प्रदान किया है। इसमें महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाता है और संपत्ति के मामले में उन्हें उचित न्याय प्राप्त होता है। यह निर्णय महिलाओं के स्वायत्तता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।

मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय ने साबित किया है कि संपत्ति का अधिकार केवल पतियों को ही नहीं होता है, बल्कि पत्नियों को भी उसका अधिकार होता है। यह निर्णय समाज में बदलाव की ओर महत्वपूर्ण कदम है और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करता है। यह एक प्रगतिशील और समान मानवीय समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

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